श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 5 जुलाई 2021। विपरीतकरणी एक संस्कृत शब्द है जिसमें विपरीत का अर्थ होता है उलटा। इस आसन में पैर ऊपर होता है और सिर नीचे। विपरीतकरणी मुद्रा एक ऐसा योगाभ्यास है जो शरीर के सातों चक्र को सक्रिय करने में अत्यंत मददगार है और कुण्डलिनी जागरण में सहायक है। इस योगाभ्यास में शरीर अर्ध कंधे पर खड़ा जैसा लगता है। विपरीतकरणी मुद्रा को अंग्रेजी में Upside-down yoga भी कहते हैं।
विधि
1.सबसे पहले आप पीठ के बल आराम से लेट जाएं और पैरों को एक साथ रखें।
2.सांस लेते हुए पैरों को सीधे रखते हुए धीरे- धीरे ऊपर उठाएं।
3.हाथों को नितंब (Buttocks ) के नीचे लाकर नितंब को उठाएं।
4.कोहनियां (Elbows) को जमीन पर रखते हुए हाथों से कमर को सहारा दें।
5.धीरे- धीरे सांस लें और धीरे- धीरे सांस छोड़े।
6.इस स्थिति को कुछ समय के लिए मेन्टेन करें।
7.फिर लम्बा सांस छोड़ते हुए पैरों को धीरे धीरे नीचे लाएं।
यह एक चक्र हुआ। इस तरह आप 3 से 5 चक्र करें।
सावधानियां
1.उच्च रक्तचाप में इसका अभ्यास न करें।
2.हृदय रोग से पीड़ित लोग इस योग को करने से बचें।
3.बढ़े हुए थायरॉयड से ग्रस्त व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
4.यह आसन उनको भी नहीं करनी चाहिए जिनको गर्दन में दर्द हो।
5.प्रेग्नन्सी में इसे बिल्कुल न करें।
6.कंधे के दर्द में इसे करने से बचें।
लाभ
1.इस योग का अभ्यास करने से शरीर में मौजूद सभी सातों चक्र सक्रिय होने लगता है और कुंडलिनी जागरण में सहायक है। इस तरह से आपको बहुत सारी परेशानियों से दूर करने में मददगार है।
2. इसके अभ्यास से सिर में खून एवं खनिज तत्व का प्रभाव अच्छी तरह होने लगता है जो आपके बाल के सेहत के लिए बहुत ही अच्छा है।
3.इसके नियमित अभ्यास से चेहरा खिल उठता है।
4. यह पाचन तंत्र को ठीक करता है और भोजन के पचाने में अहम भूमिका निभाता है।
5. इसके नियमित अभ्यास से आप कब्ज से निजात पा सकते हैं।
6.इसके अभ्यास से मस्तिष्क तक रक्त का प्रवाह बढ़ता है और मस्तिष्क सतर्क होता है।
7.यह थायरॉयड के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण योगाभ्यास है। यह थायरॉयड के कार्य को संतुलित करता है तथा थायरॉयड की अतिसक्रियता से होने वाली समस्याएं दूर करने में सहायक है।
8. यह शरीर में ऊर्जा की बढ़ोतरी करने में सहायक है।
9.आँखों की दृष्टि को बढ़ाने में सहायक है।
10.इसके अभ्यास से निद्रा अच्छी आती है।
11.इसके नियमित से वीर्य सम्बन्धी तमाम रोग नाश हो जाते है ।
12. स्वर मधुर बनाने में सहायक है।


