11 अक्टूबर 2020 का पंचांग, जाने आज के शुभ-अशुभ मुर्हूत, रविवार को करने योग्य धर्म-कर्म पंडित विष्णुदत्त शास्त्री के साथ।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 11 अक्टूबर 2020।🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓

शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।

🌻रविवार,11 अक्टूबर 2020🌻

सूर्योदय: 🌄 06:39
सूर्यास्त: 🌅 18:08
चन्द्रोदय: 🌝 25:23
चन्द्रास्त: 🌜14:38
अयन 🌕 दक्षिणायने (दक्षिणगोलीय)
ऋतु: ❄️ शरद
शक सम्वत: 👉 1942
विक्रम सम्वत: 👉 2077
मास 👉 आश्विन (अधिक)
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि👉 नवमी 17:53 तक
नक्षत्र 👉 पुष्य 01:19 तक
योग 👉 सिद्ध 22:54 तक
करण 👉 गर 17:53 तक
वणिज 05:22 तक
सूर्य 🌟 कन्या
चंद्र 🌟 कर्क
अभिजित मुहूर्त 👉 12:00-12:45
राहुकाल 👉 16:42-18:08
दिशाशूल 👉 पश्चिम
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – उद्वेग =06:30-08:05
२ – चर =08:05-09:31
३ – लाभ =09:31-10:57
४ – अमृत =10:57-12:23
५ – काल =12:23-01:49
६ – शुभ =01:49-03:15
७ – रोग =03:15-04:42
८ – उद्वेग =04:42-06:08

॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – शुभ =06:08-07:42
२ – अमृत =07:42-09:16
३ – चर =09:16-10:49
४ – रोग =10:49-12:23
५ – काल =12:23-01:57
६ – लाभ =01:57-03:31
७ – उद्वेग =03:31-05:05
८ – शुभ =05:05-06:39
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शुभ यात्रा दिशा
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उत्तर-पश्चिम (पान का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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भद्रावास मृत्युलोक में 05:22 से, रविपुष्य योग 06:38 से 25:18 तक आदि।
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उदय लग्न मुहूर्त

कन्या 04:29 से 06:47
तुला 06:47 से 09:08
वृश्चिक 09:08 से 11:27
धनु 11:27 से 13:31
मकर 13:31 से 15:12
कुम्भ 15:12 से 16:38
मीन 16:38 से 18:01
मेष 18:01 से 19:35
वृषभ 19:35 से 21:30
मिथुन 21:30 से 23:45
कर्क 23:45 से 02:06
सिंह 02:06 से 04:25
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रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है । अत: रविवार के दिन मंदिर में भैरव जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।