May 21, 2025
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श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 24 अप्रैल 2025। श्रीडूंगरगढ़ उपजिला चिकित्सालय में चिकित्सकों की कमी, तैनात चिकित्सकों के भी सीट पर नहीं होने सहित अनेकों शिकायतें तो आए दिन आती है लेकिन गुरूवार को इस चिकित्सालय से एक सकारात्मक खबर सामने आ रही है। यहां उच्च स्तरीय चिकित्सालयों की तर्ज पर 15 दिनों तक एक प्रीमैच्योर बच्चे का उपचार किया गया एवं बच्चे को स्वस्थ कर डिस्चार्ज करने पर क्षेत्रवासियों में चिकित्सालय के प्रति भरोसा बढ़ा है। चिकित्सालय में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ दिनेश पड़िहार ने बताया कि चिकित्सालय में गत 7 अप्रैल को गांव मोमासर की निवासी बींझादेवी पत्नी धर्मपाल मेघवाल की प्रीमैच्योर डिलवरी हुई थी। सामान्य गर्भ 36 सप्ताह याने के नौ माह का होता है लेकिन बींझादेवी के 30वें सप्ताह में साढ़े सात महिनों के गर्भ की ही डिलेवरी हो गई। ऐसे में सामान्य जन्में बच्चे का वजन 2500 ग्राम से अधिक होता है वहीं बींझादेवी के पुत्र का वजन मात्र 1100 ग्राम ही था। ऐसे में बच्चे के जिंदा बचने की संभावना बेहद कम थी। ऐसे में पहले तो उसे हायर सेंटर में रैफर करने का सोचा लेकिन बाद में बच्चे का उपचार चुनौती के रूप में स्वीकार कर उसे चिकित्सालय में भर्ती किया गया। 15 दिनों तक लगातार उस पर विशेष नजर रखी गई एवं इस दौरान बच्चे के आक्सीजन की कमी होने पर ऑक्सीजन बाईपेप मशीन से, सामान्य ऑक्सीजन पाईप से सप्लाई दी गई। उपचार के बीच में ही बच्चे को पीलिया भी हो गया था, जिसका भी फोटो थैरेपी से उपचार किया गया। 15 दिनों तक लगातार किए गए प्रयासों के कारण बच्चा अब एकदम स्वस्थ है एवं बुधवार को उसे डिस्चार्ज करते हुए अपने परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया है। विदित रहे कि श्रीडूंगरगढ़ उपजिला चिकित्सालय में किसी प्रकार का उपचार होने के बजाए प्राथमिक उपचार के बाद रैफर सेंटर बनने की शिकायत आम है लेकिन यहां के चिकित्सकों के ऐसे प्रयास चिकित्सालय का सम्मान बढ़ा रहे है।