श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 23 जुलाई 2021। खाड़ी देशों का मीठा फल खजूर की खेती के लिए श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र सहित बीकानेर जिले की जलवायु व जमीन अत्यंत उपयुक्त है। इसे प्रोत्साहन देने के लिए गुरुवार को ही जारी नई गाइडलाइन में राज्य सरकार ने किसान को अनुदान राशि 3000/- या प्रति पौधा ईकाई लागत का 75% प्रतिशत जो भी कम हो दिए जाने की घोषणा की है। श्रीडूंगरगढ़ कृषि उद्यानिकी विभाग के अधिकारी सोमेश तंवर ने बताया कि खजूर की खेती के लिए खेत में ड्रिप सिंचाई सहित अनुदान के लिए आगामी 15 अगस्त तक किसान आवेदन कर सकते है। तंवर ने बताया कि कम पानी में सर्दी गर्मी में ज्यादा प्रभावित नहीं होने वाला ये पौधा आने वाले समय में किसान के लिए अतिरिक्त आय का अच्छा साधन बन सकता है। ये पेड़ बनने पर 80-120 रुपए किलो तक के मीठे फल देता है जो बेहद पोष्टिक होते है। साथ ही यह हमारे क्षेत्र की तेज आँधी में खेत की मिट्टी उड़ने से रोक कर मिट्टी की रक्षा भी करता है। खेजड़ी की तरह कम पानी में होने वाले इस पेड़ में फल ऑर्गेनिक भी होंगे। सोमेश ने बताया कि जुलाई से सितंबर के बीच ही ये पौधे लगाए जाने का समय है और साल में दूसरी बार जनवरी फरवरी में लगाया जा सकता है। किसान एक हैक्टेयर में 156 पौधे लगाए व पौधे बीकानेर बीछवाल की सरकारी नर्सरी से ले सकेंगे। क्षेत्र के किसानों को अब मूंगफली से आगे बढ़ कर नवाचार अपनाते हुए खजूर की खेती को बेहतर विकल्प के रूप में अपनाया जाना चाहिए। खजूर के पौधों की कीमत अधिक होने, इसकी किस्म ऑफ शूट पौधा या टिश्यू पौधों की मेल फीमेल प्रजाति की विशिष्ट जानकारियां होती है। बता देवें अगर कोई नर्सरी गलत जानकारी के साथ किसान को पौधा बेच दें तो उसकी शिकायत भी विभाग में की जा सकती है। विभाग किसान को उससे मुआवजा दिलवाने के साथ उस नर्सरी को ब्लैक लिस्टेड भी कर देती है।
किसान ख्यालीराम महावर का अनुभव।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। हनुमान धोरा श्रीडूंगरगढ़ के पास ही अपने कृषि फार्म पर खजूर का एक पेड़ लगाने वाले ख्यालीराम ने इस बार अधिक पेड़ लगा कर खजूर की उपज लेने का मन बना लिया है। एक पेड़ के परिणाम से उत्साहित ख्यालीराम ने कहा कि हमारे क्षेत्र में किसान के लिए ये एक बेहतर विकल्प साबित होगा। ख्यालीराम ने कहा कि मेरा निजी अनुभव है कि ये कम पानी में अच्छी उपज देता है और खेत की पश्चिमी सीमा के सहारे सहारे पौधे लगाए जाएं तो दोहरा फायदा होगा। एक तो आंधियों में खेत की मिट्टी व फसल को फायदा तथा दूसरा ये पेड़ सीधा ऊपर की ओर बढ़ता है जिससे अन्य फसल प्रभावित नहीं होगी। उन्होंने क्षेत्र के किसानों को कम पानी में खजूर की खेती करने के लिए प्रेरित होने की बात भी कही।