May 18, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 8 मई 2022।  पेट्रोल और डीजल ने अपने दाम का शतक लगाकर जहां हर घर का बजट बिगाड़ा वहीं अब रसोई गैस ने भी एक हजारी बनकर 28.9 करोड़ घरों की रसोई का बजट झटके से बढ़ा दिया है। इस दोहरी मार का सर्वाधिक असर मध्यम, उच्च मध्यम और निम्न वर्ग पर हुआ है। खाद्य पदार्थों के बढ़े दाम ने पहले ही उसे परेशानी में डाला हुआ है।
शनिवार को कम्पनियों ने घरेलू सिलेंडर जो 14 किलो का होता है, उसके दामों में सीधे 50 रुपये की बढ़ोतरी कर दी। अब कई शहरों में घरेलू गैस का सिलेंडर 1000 से भी अधिक रुपयों में मिलेगा। दो माह की अवधि में कम्पनियों ने आम आदमी की परेशानी की परवाह किये बिना दूसरी बार दाम बढ़ा दिये। एक साल की अवधि में रसोई गैस के दामों में 200 रुपयों की वृद्धि हुई है, जो बहुत ज्यादा है। जबकि आंकड़े बताते हैं कि आम आदमी की आमदनी में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। महंगाई का असर अब तो हर घर में दिखने लगा है और घर का ताना बाना पूरी तरह बिखर गया है। पेट्रोल, डीजल की वृद्धि का अपरोक्ष रूप से असर खाद्य पदार्थो पर होता है, क्योंकि परिवहन में यही काम आते हैं।
एक तरफ कोरोना की मार से अभी हर घर आर्थिक रूप से उबरा भी नहीं है, वहीं पेट्रोलियम पदार्थों और रसोई गैस ने उस पर प्रहार कर दिया। बात यहीं तक की नहीं है, दवाईयों का दामों में भी बढ़ोतरी हुई है। एक सर्वे के मुताबिक एशिया में सबसे अधिक दवाई के दामों में वृद्धि भारत में हुई है। आंकड़ों के अनुसार दवाई के दामों में 14 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है, जो बहुत ज्यादा है।
खाना पकाने के लिए अधिकतर घरों में अब एलपीजी का ही उपयोग होता है, इसलिए इसके दामों में वृद्धि का व्यापक असर होगा। मांगलिक आयोजनों में एलपीजी सिलेंडर का उपयोग गैर कानूनी है, इसलिए सब को व्यावसायिक एलपीजी सिलेंडर का उपयोग करना पड़ता है। कम्पनियों ने उसके दाम भी बढ़ा दिये हैं, ये अलग मार मध्यम वर्ग पर पड़ी है। व्यावसायिक एलपीजी सिलेंडर की कीमत अब 2355.50 रुपये तक पहुंच गई है। इससे भी आम आदमी की कमर टूटी है।
महंगाई इससे बढ़नी तय है। आर्थिक जानकारों का मानना है कि अब इस मामले में सरकार का दखल जरुरी है। दामों पर नियंत्रण लोकतंत्र में सरकार का विषय होना चाहिए, क्योंकि उसकी ही जनता के प्रति जवाबदेही होती है। सब्सिडी विकल्प नहीं, दाम कम करना जरूरी है। जीएसटी के दायरे में इनको लाने की बात अब भी अनुत्तरित है, उस पर निर्णय का अब समय आ गया है। यदि अब भी निर्णय नहीं हुआ, आम आदमी का जीना दुर्भर हो जायेगा। केंद्र सरकार को अब पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के मामले में दखल देना चाहिए, क्योंकि आम आदमी का चेहरा इनके बढ़ते दामों से अब लाल होने लग गया है।

– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार

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