पंजाब में अब चुनाव की तारीख नजदीक आ गई है तो कांग्रेस ने अपनी पूरी शक्ति इसी प्रदेश में लगा दी है। राहुल गांधी और प्रियंका तो सक्रिय है ही, कल पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भी पंजाब विधान सभा चुनाव में एंट्री हो गई।
पंजाब के मतदाता पर मनमोहन सिंह की अच्छी छवि का असर है, जिसका लाभ कांग्रेस लेना चाहती है। ये कांग्रेस का इमोशनल कार्ड है। पूर्व प्रधानमंत्री ने न केवल कांग्रेस के लिए पंजाब के लोगों से वोट मांगे अपितु मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों पर भी प्रहार किया। आर्थिक विषयों के जानकार पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने बिगड़ी अर्थ व्यवस्था, बेरोजगारी और महंगाई को लेकर केंद्र सरकार पर हमला किया। माना जाता है कि पंजाब में मनमोहन सिंह की बात को पंजाबी गंभीरता से सुनते हैं।
राहुल, प्रियंका और चन्नी ने पूरी ताकत झोंकी हुई है मगर प्रचार पर मनीष तिवारी के बयान कांग्रेस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। कांग्रेस के भीतर की कलह का असर भी चुनाव पर पड़ रहा है। इसी कारण राहुल और प्रियंका पंजाब में ही डेरा डाले हुए हैं। इस राज्य से कांग्रेस को ज्यादा की उम्मीद है।
यहां पहले तो केवल आप ही कांग्रेस से टक्कर लेती दिख रही थी मगर अब शिरोमणि अकाली दल और बसपा गठबंधन ने भी अपनी स्थिति को सुधारा है जिसका नुकसान आप को हो रहा है। इस गठबंधन ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। तभी चुनाव अब कांटे का हो गया है। कुमार विश्वास के अरविंद केजरीवाल पर दिए विस्फोटक बयान का असर भी चुनाव पर पड़ेगा, क्योंकि सभी इस बयान को भुनाने में लगे हैं। आप को कुमार विश्वास के इस बयान से नुकसान उठाना पड़ रहा है।
भाजपा को अपनी स्थिति का भान है, इसीलिए कांग्रेस से निकले कैप्टन के साथ वो चुनाव लड़ रही है। कुछ क्षेत्रों में ही इसका असर है मगर भाजपा ने यहां कम मेहनत नहीं की है। उसकी मेहनत से स्पष्ट है कि वो विधान सभा चुनाव के बहाने अगले लोक सभा चुनाव की जमीन तैयार कर रही है। उसे पता है कि अगला लोक सभा चुनाव उसे पंजाब में अपने बूते लड़ना होगा, क्योंकि अकाली दल तो अब उनसे टूट गया है। इस चुनाव में ये गठबंधन ऐसा है जो समान रूप से कांग्रेस और अकाली दल को नुकसान दे रहा है, मुकाबला नजदीकी होने का एक कारण ये भी है।
मगर ज्यों ज्यों पंजाब में मतदान की तारीख नजदीक आ रही है त्यों त्यों मुकाबला कठिन होता जा रहा है। इस बार के पंजाब चुनावों पर राजनीतिक विश्लेषक इसी कारण सीधी टिप्पणी से बच रहे हैं।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार