राजस्थान विधानसभा के चुनाव के लिए कांग्रेस व भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति के लिए ब्ल्यू प्रिंट बनाने का काम आरम्भ कर दिया है। दोनों दलों में तीन अलग अलग स्तर की कमजोर सीटों के लिए अपना एक्शन प्लान तैयार किया है। इन सीटों के लिए भाजपा जहां अपने वरिष्ठ नेताओं को उतारेगी वहीं कांग्रेस अपने संगठन व मंत्रियों के जरिये मेहनत करेगी।
भाजपा ने पहले स्तर में उन सीटों को रखा है जहां वो पिछले तीन चुनाव से जीत ही नहीं पाई है। इन सीट पर खास जोर दिया जा रहा है। बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को वहां विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा सांसदों को भी इन सीट पर सक्रिय होने के लिए कहा गया है। केंद्रीय मंत्रियों की भी इन सीटों पर विशेष रूप से ड्यूटी लगाई जायेगी।
जबकि कांग्रेस ने पहले स्तर में उन सीट को रखा है जहां वो पिछले चुनाव में कुछ मतों के अंतर से ही हारी थी। इन सीट पर सीएम खुद दौरा कर रहे हैं और वोटर को लुभाने के लिए वहां के लिए नई घोषणाएं कर रहे हैं। वहां के लोगों की मांगों का अध्ययन किया जा रहा है ताकि उनको पूरा करने की घोषणा की जा सके।
भाजपा ने दूसरे स्तर में उन सीट को रखा है जहां वो दो चुनावों से हार रही है। इन सीट के लिए भी उसने बूथ को मजबूत करने का काम प्रारम्भ किया है। संगठन को यहां खास जिम्मेवारी दी गई है। इन सीट पर भी केंद्र के नेताओं का दौरा कराया जायेगा। कांग्रेस ने दूसरे स्तर पर उन सीट को रखा है जहां वो पिछले तीन चुनावों में कभी जीती ही नहीं है। इन सीट के लिए सीएम उदार मन से घोषणाएं कर रहे हैं और महंगाई राहत शिविरों तक लोगों को लाकर अधिक से अधिक लाभ दिलवाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वहां के मतदाता के मन को बदला जा सके।
भाजपा ने तीसरे स्तर पर उन सीट को रखा है जहां वे पिछला चुनाव बहुत कम अंतर से जीते थे। यहां ज्यादा जोर संगठन के माध्यम से लगाया जा रहा है ताकि जीत का अंतर अधिक होने को पुख्ता किया जा सके। कांग्रेस ने तीसरे स्तर पर उन सीट को रखा है जहां के विधायकों को लेकर सर्वे में एन्टीनकम्बेंसी की रिपोर्ट मिली है। रंधावा, सीएम व डोटासरा ने इन सीट पर खास माथापच्ची की है। ताकि ये सीट फिर से जीती जा सके।
इन तीनों अलग अलग स्तरों के लिए दोनों पार्टियों ने अपनी अलग अलग रणनीति बना काम भी प्रारंभिक स्तर पर आरम्भ कर दिया है। भाजपा में ये काम संगठन के स्तर पर शुरू हुआ है तो कांग्रेस में ये काम सह प्रभारियों ने आरम्भ किया है। दोनों ही दल इन तीन स्तर की सीट के लिए नये उम्मीदवारों की तलाश भी साथ मे कर रहे हैं। उसके लिए भी पार्टी व जनता की ओपिनियन का पता लगाया जा रहा है। इस राजनीतिक घटनाक्रम से ये तो तय सा लगता है कि दोनों ही दल अगले चुनाव में काफी संख्या में नये चेहरे उतारेंगे।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार