June 16, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 23 मई 2024। (ये खबर अभाव को दोष देकर पढ़ाई में पिछड़ने वाले बच्चों के लिए एक प्रेरणा होगी, आप सभी इसे जरूर पढें और हर बच्चे तक ये खबर पहुंचाए जिससे वे जाने कि विपरित परिस्थितियों में भी प्रशासनिक सेवाओं में जाने के सपने पल रहें है।) एक स्थान से दूसरे स्थान पर घुम-घुमकर, गांव के घरों में खाना मांगकर अपने परिवार का पालन करने के लिए कालबेलिया समुदाय को पहचाना जाता है। सांप पकड़ने का परंपरागत व्यवसाय बंद हो जाने के बाद अभी तक ये समुदाय समाज की मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाया है। परंतु क्षेत्र के गांव बिग्गा में एक युवक की 12वीं कक्षा में हासिल की गई उपलब्धि ने पूरे समुदाय के अनेक परिवारों में बच्चों को पढ़ाने की प्रेरणा दी है। गांव के जितेंद्रनाथ जोगी पुत्र ओंकारनाथ ने 12वीं कक्षा के परिणामों में 74.64% अंक लाकर एक सुख:द बदलाव की उम्मीद जगाई है। जितेंद्र के पिता खेतों में मजदूरी करने के साथ आज भी विभिन्न घरों से भोजन मांगकर लाते है और अपने परिवार का पालन है। एक विवाहित बहन और एक बड़े भाई के लाडले जितेंद्र को इस परिणाम के बाद भाई बहन खूब पढ़ने की बात कह रहें है। बड़े भाई कुलदीपनाथ ने उसे मजदूरी नहीं जाकर पूरा ध्यान पढ़ाई पर देने की बात कहते हुए घर खर्च स्वयं मजदूरी कर उठा लेने की बात कही है। जितेंद्र की माँ कारमा देवी पिता की तरह ही पूरी तरह से निरक्षर है। कारमा ने टाइम्स को बताया कि वे चाहती है बेटा अफसर बने और कालबेलिया समाज के उत्थान के लिए काम करें। गांव में 30 परिवारों के कुटुंब में जितेंद्र अकेला लड़का है जिसने 12वीं पास की है। गांव के स्कूल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उसके ताऊ कृष्णनाथ ने बताया कि उन्हें जितेंद्र से बहुत उम्मीदें है। उनके पूरे परिवार को उस पर गर्व है कि विपरित परिस्थितियों में भी उसने अच्छे अंक हासिल किए है।

दिन में मजदूरी, शाम को पढ़ाई, मांग कर लाना नापसंद।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। जितेंद्र स्वयं पिता के साथ खेतों में मजदूरी करने जाता है। स्कूल के दिनों में शाम को काम करवाता और परीक्षा की तैयारी के लिए हुई छुट्टियों में भी वह सुबह मजदूरी करने जाता। शाम को घर आकर देर रात तक पढ़ाई करता था। जितेंद्र को परिवार द्वारा घरों में मांगने जाना पसंद नहीं है और उसने टाइम्स को बताया कि वह प्रशासनिक सेवाओं में जाना चाहता है। उसने बताया कि इसके लिए वह पूरी तैयारी भी करेगा। जितेंद्र ने कहा कि अनिवार्य शिक्षा के बावजूद उसके समाज में बच्चे नहीं पढ़ रहें है ऐसे में वह पिछड़े समाजों में व्यापक परिवर्तन का प्रयास करेगा। उनके कुटुंब में हर्ष का माहौल है और गांव में भी जिसे पता चला उसने उसे बधाई दी।

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। जितेंद्र नाथ भी पिता के साथ खेतों में मजदूरी करने जाता है।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। परिवार इस मकान में गुजर बसर कर रहा था, इस साल ही बनाए है दो पक्के कमरे।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। जितेंद्र स्वयं खेतों में मजदूरी कर परिवार को सहयोग देता है।
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