May 3, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 1 अगस्त 2022। श्रीडूंगरगढ़ में लंपी चर्म रोग ने गौवंश पर कहर बरपाया है। धोलिया रोड स्थित जीव दया गौशाला में 150 से अधिक गौवंश इससे पीड़ित हो गया है। रविवार को यहां 8 गौवंश दर्दनाक मौत का शिकार हो गए तथा कस्बे में 25 गौवंश के शव उठाए गए। आज भी जीवदया गौशाला में खबर लिखे जाने तक 3 गौवंश की मौत हो गई है। स्थिति चिंताजनक है क्योंकि गौशाला में 2175 गौवंश है और लंपी यहां फैल चुका गया है। ब्लॉक पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. उत्तम सिंह भाटी ने बताया कि जीवदया गौशाला के हालात पर वे जानकारी ले रहें है। उन्होंने कहा कि विभाग के कर्मचारियों के साथ गांवो में पशुधन सहायक व डिप्लोमाधारी युवा भी हमारे निर्देशन में सेवाएं दे रहें है।
सरकारी आंकड़ा पहुंचा 1064 संक्रमित, 38 मौतों पर।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। सरकारी आंकड़ों में संक्रमितों की संख्या 1064 बताई जा रही है तथा मौतों की संख्या 38 हुई है। परंतु बता देवें आंकड़ों के फेर में पड़े बिना समझे की जागरूकता जरूरी है क्योंकि धरातल पर स्थित गंभीर बन गयी है। शनिवार को सरकारी आंकड़ो में 606 संक्रमित तथा 28 मौते बताई गई थी जो दो दिन में 458 पीड़ित बढ़े है जिससे स्पष्ट है संक्रमण 75.57 प्रतिशत की गति से बढा है।

बिग्गा में जुटें युवक सेवा में।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। गांव बिग्गा में लंपी चर्म रोग के बढ़ने के साथ ही बेसहारा पशुओं के लिए वीर बिग्गाजी सेवा समिति के युवा सेवा में जुट गए है। समिति के युवा शनिवार से जुटे है। बिग्गा से अनेक गौवंश को रेस्क्यू कर डॉक्टर से जांच करवा टीका लगवा कर ऐसे पशुओं को आइसोलेट करने का प्रबंध करने के प्रयास कर रहें है।
बेसहारा पशुओं को आइसोलेट करना भी समस्या।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। कस्बे में करीब 3 हजार से अधिक बेसहारा पशु घूम रहें है जिनमें अधिकांश गौवंश ही है। क्षेत्र में ये संख्या ओर अधिक है तथा ये पशु लंपी से पीड़ित हो रहें है। अनेक नागरिक गलियों में है उसकी सेवा भी कर रहें है परंतु इन्हें आइसोलेट करने की समस्या सामने आ रही है। ऐसे में कई संगठन इस हेतु प्रयास कर रहें है।

नागरिक सहयोग करें, किसान व पशुपालक डॉक्टरों से संपर्क जरूर करें।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। पशुपालन विभाग के साथ श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स की भी अपील है कि नागरिक गौवंश की प्राण रक्षा के लिए सेवा व सहयोग के लिए आगे आएं। किसान व पशुपालक बीमारी के लक्षण दिखते ही तुरंत पीड़ित गौवंश को स्वस्थ पशुओं से अलग कर दूसरे स्थान पर आइसोलेट करें। वे डॉक्टरों से संपर्क कर पशु का ईलाज प्रारंभ करवाएं तथा पशु को खाने के लिए। पौष्टिक आहार देवें।

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