श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 21 अगस्त। 15 सालों में 3 बार स्वीकृत होकर जगह बदलने, चौथी बार मे स्वीकृत होकर भूमि चिन्हित होने, 6 वर्ष पूर्व स्वीकृत होकर लंबे समय तक निर्माणाधीन रहने के बाद बुधवार को वह दिन आ गया जब गांव लखासर के ग्रामीणों को उनका 33 केवी जीएसएस मिला। लेकिन जीएसएस का निर्माण कार्य पूरा होने के साथ ही लोकार्पण ओर श्रेय के संघर्ष में उलझ गया है। बुधवार को गांव के प्रथम नागरिक के रूप में सरपंच ने जीएसएस का लोकार्पण तो कर दिया। लेकिन लोकार्पण के 5 घंटे बाद विद्युत निगम के अधिकारियों ने लोकार्पण को नकारते हुए इसका खंडन भी कर दिया। मामला रोचक तो तब हो गया जब लोकार्पण के दौरान विद्युत निगम के अधिकारी भी मौजूद रहे और मिठाई खाने-खिलाने का दौर भी चला लेकिन बात बढ़ने पर वही अधिकारी लोकार्पण को नकारते दिखे। अब मामला इस कदर उलझ गया है कि दोनों ही पक्ष अपने अपने दावों को सही बताते हुए सामने वाले पक्ष पर आरोप लगा रहे है। वहीं इस श्रेय के संघर्ष से दूर ग्रामीण खुश हैं कि 15 सालों की देरी से ही सही पर उनके गांव का खुद का जीएसएस बन कर पूरा तो हुवा। ग्रामीणों को आस है कि लोकार्पण भले ही कोई करे लेकिन बस बिजली सप्लाई तो सुधार दी जाए।
मुझे निगम के कनिष्ठ अभियंता ने आमंत्रित किया था और लोकार्पण के बाद मैने सभी को मिठाई भी खिलाई थी। गांव का निर्वाचित प्रथम नागरिक होने के नाते यह मेरा हक़ भी था। लेकिन अब जो निगम अधिकारी किसी राजनीतिक दबाव में झुठला रहे हैं, यह सीधा सीधा पंचायती राज सिस्टम का अपमान तो है ही साथ मे पूरे गांव का अपमान कर रहे हैं।
भागीरथ खिलेरी, सरपंच लखासर।
जीएसएस निगम के स्वामित्व क्षेत्र में आता है और लोकार्पण करने का अधिकार भी केवल निगम को ही है। सरपंच को हक़ नही है कि ऐसे मनमर्जी से लोकार्पण कर दे। निगम द्वारा अभी तक लखासर जीएसएस का लोकार्पण नही करवाया गया है।
किशनलाल, एसई, बीकानेर, विद्युत निगम
15 सालों के इंतजार कर बाद बना, विवाद से ग्रामीण निराश।
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। लखासर के निवासियों के लिए पिछले 15 सालों से जीएसएस बनना एक दिवास्वप्न बन गया था। जीएसएस के नही होने के कारण पेयजलापूर्ति, फाल्ट होने पर समय से नही जुड़ने, कमजोर वोल्टेज, कम सप्लाई आदि दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। ऐसे में यहां पर करीब 15 वर्ष पहले सरपंच कालूसिंह तंवर के कार्यकाल में पहली बार जीएसएस स्वीकृत हुवा था। भूमि भी भेरुजी मंदिर की ओरण में चिन्हित की गई थी। लेकिन बाद में किन्ही कारणों से यहां का जीएसएस जोधासर में बनाया गया। इसके बाद समंदसर ओर लखासर दोनो गांवों के लिए एक जीएसएस बनाना स्वीकृत हुवा। ओर लखासर में समंदसर रोड़ पर भूमि आवंटन की प्रक्रिया की गई। इस बार समदसर की दूरी अधिक होने के कारण ओर समंदसर से आगे के गांव जोड़ने के कारण जीएसएस लखासर के बजाय समंदसर में बना दिया गया ओर लखासर के ग्रामीण ठगे से रह गए। इसके बाद तीसरी बार जीएसएस स्वीकृत हुवा बेनिसर ओर लखासर दोनो गांवों के लिए ओर भूमि भी तय की गई दोनो गांवों के बीच मे स्थित टोल नाके वाले ताल में। लेकिन बेनिसर के जनप्रतिनिधि अधिक सक्रिय होते हुए यह जीएसएस भी अपने गांव ले गए। ऐसे में तीन बार धोका खाने कब बाद 2014 में जब लखासर के ग्रामीणों ने तत्कालीन विधायक मंगलाराम गोदारा के समक्ष अपना विरोध जताया और विधानसभा चुनावों में बहिष्कार की चेतावनी दी तब चुनाव से केवल एक माह पूर्व लखासर के लिए चौथी बार जीएसएस स्वीकृत किया गया और निर्माण प्रक्रिया भी शुरू की गई। लेकिन 2014 में मंगलाराम गोदारा हार गए और राज्य में सरकार भी बदल कर भाजपा की आ गई। इसके बाद पुनः इस स्वीकृत जीएसएस को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लेकिन वर्ष 2018 में पुनः कांग्रेस सरकार आने के बाद इस जीएसएस के निर्माण कार्य को गति मिली और 15 वर्षों के प्रयासों के बाद लखासर के ग्रामीणों को अपना जीएसएस निर्माण पूरा मिल पाया। इतने लंबे संघर्ष के बाद जीएसएस के बनने और बनने के बाद अब लोकार्पण, श्रेय लेने के विवाद से ग्रामीण निराश हैं।