श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 11 मई 2021।🚩श्री गणेशाय नम:🚩
शास्त्रों के अनुसार तिथि के पठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
वार के पठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है।
नक्षत्र के पठन और श्रवण से पापो का नाश होता है।
योग के पठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।
*करण के पठन श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है ।
इसलिए हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए नित्य पंचांग को देखना, पढ़ना चाहिए ।
📜 आज का पंचांग 📜
☀ 11 – May – 2021
☀ Sri Dungargarh, India
☀ पंचांग
🔅 तिथि अमावस्या 24:31:16
🔅 नक्षत्र भरणी 23:31:28
🔅 करण :
चतुष्पाद 11:13:43
नाग 24:31:16
🔅 पक्ष कृष्ण
🔅 योग सौभाग्य 22:40:44
🔅 वार मंगलवार
☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ
🔅 सूर्योदय 05:46:56
🔅 चन्द्रोदय चन्द्रोदय नहीं
🔅 चन्द्र राशि मेष
🔅 चन्द्र वास पूर्व
🔅 सूर्यास्त 19:14:03
🔅 चन्द्रास्त 18:55:00
🔅 ऋतु ग्रीष्म
☀ हिन्दू मास एवं वर्ष
🔅 शक सम्वत 1943 प्लव
🔅 कलि सम्वत 5123
🔅 दिन काल 13:27:06
🔅 विक्रम सम्वत 2078
🔅 मास अमांत चैत्र
🔅 मास पूर्णिमांत वैशाख
☀ शुभ और अशुभ समय
☀ शुभ समय
🔅 अभिजित 12:03:35 – 12:57:24
☀ अशुभ समय
🔅 दुष्टमुहूर्त 08:28:22 – 09:22:10
🔅 कंटक 06:40:45 – 07:34:33
🔅 यमघण्ट 10:15:59 – 11:09:47
🔅 राहु काल 15:52:16 – 17:33:09
🔅 कुलिक 13:51:12 – 14:45:01
🔅 कालवेला या अर्द्धयाम 08:28:22 – 09:22:10
🔅 यमगण्ड 09:08:43 – 10:49:36
🔅 गुलिक काल 12:30:29 – 14:11:23
☀ दिशा शूल
🔅 दिशा शूल उत्तर
☀ चन्द्रबल और ताराबल
☀ ताराबल
🔅 अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद
☀ चन्द्रबल
🔅 मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ
📜 चोघडिया 📜
🔅रोग 05:46:56 – 07:27:50
🔅उद्वेग 07:27:50 – 09:08:43
🔅चल 09:08:43 – 10:49:36
🔅लाभ 10:49:36 – 12:30:29
🔅अमृत 12:30:29 – 14:11:23
🔅काल 14:11:23 – 15:52:16
🔅शुभ 15:52:16 – 17:33:09
🔅रोग 17:33:09 – 19:14:03
🔅काल 19:14:03 – 20:33:04
🔅लाभ 20:33:04 – 21:52:06
🔅उद्वेग 21:52:06 – 23:11:08
🔅शुभ 23:11:08 – 24:30:10
🔅अमृत 24:30:10 – 25:49:12
🔅चल 25:49:12 – 27:08:14
🔅रोग 27:08:14 – 28:27:16
🔅काल 28:27:16 – 29:46:17
❄️लग्न तालिका ❄️
🔅 मेष चर
शुरू: 04:25 AM समाप्त: 06:02 AM
🔅 वृषभ स्थिर
शुरू: 06:02 AM समाप्त: 07:58 AM
🔅 मिथुन द्विस्वाभाव
शुरू: 07:58 AM समाप्त: 10:13 AM
🔅 कर्क चर
शुरू: 10:13 AM समाप्त: 12:33 PM
🔅 सिंह स्थिर
शुरू: 12:33 PM समाप्त: 02:50 PM
🔅 कन्या द्विस्वाभाव
शुरू: 02:50 PM समाप्त: 05:06 PM
🔅 तुला चर
शुरू: 05:06 PM समाप्त: 07:25 PM
🔅 वृश्चिक स्थिर
शुरू: 07:25 PM समाप्त: 09:44 PM
🔅 धनु द्विस्वाभाव
शुरू: 09:44 PM समाप्त: 11:49 PM
🔅 मकर चर
शुरू: 11:49 PM समाप्त: अगले दिन 01:32 AM
🔅 कुम्भ स्थिर
शुरू: अगले दिन 01:32 AM समाप्त: अगले दिन 03:00 AM
🔅 मीन द्विस्वाभाव
शुरू: अगले दिन 03:00 AM समाप्त: अगले दिन 04:25 AM
❇️विशेष – देव, पितृ कार्य अमावस्या।
भौमवती अमावस्या पर विशेष
श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बेहद महत्व बताया गया है। ऐसे में वैशाख अमावस्या के दिन स्नान दान की परंपरा सालों से चली आ रही है। इसके अलावा पितरों के तर्पण और उनकी शांति के लिए इस दिन यदि कर्मकांड किया जाए तो वह भी काफी शुभ साबित होता है। इसके अलावा अपने जीवन में सुख समृद्धि के लिए आप चाहे तो वैशाख अमावस्या के दिन बहते हुए जल में तिल का प्रवाह कर सकते हैं।
इसके अलावा सूर्यदेव को अर्घ्य देना बेहद शुभ होता है। स्नान दान और पूजन के बाद फिर अपनी यथा शक्ति के अनुसार दान करना भी बेहद फलदाई माना गया है। वैशाख अमावस्या के दिन कालसर्प दोष से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा इस दिन जो कोई भी व्यक्ति पूजा पाठ करने के बाद पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाता है उसके जीवन में सुख समृद्धि हमेशा बनी रहती है।
इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। हालांकि देश में मौजूदा कोरोना वायरस के चलते यदि आप गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं तो अपने घर में ही नहाने के पानी में कुछ बूंद गंगाजल डाल लें और उससे स्नान कर लें।
इस दिन दान अवश्य करें। कहा जाता है कि, हिंदू धर्म में कोई भी व्रत या पूजा दान के बाद ही पूरी मानी जाती है ऐसे में वैशाख अमावस्या के दिन भी दान अवश्य दें। जरूरी नहीं कि आप ढेर सारा या किसी निर्धारित चीज का ही दान करें। इस दिन आप अपनी यथाशक्ति के अनुसार जरूरतमंदों को कुछ भी दान में दे सकते हैं।
पितरों की तृप्ति के लिए अवश्य लें संकल्प। वैशाख अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए किया गया कोई भी कर्मकांड शुभ साबित होता है। ऐसे में वैशाख अमावस्या के दिन स्नान आदि करने के बाद पितरों की शांति के लिए संकल्प अवश्य लें। ऐसा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वैशाख अमावस्या के दिन गायों को खाना भी अवश्य खिलाएं। कहा जाता है जीव जंतुओं में हमारे पितरों की प्रसन्नता छुपी हुई होती है। ऐसे में यदि आप गाय को इस दिन अन्न खिलाते हैं तो इससे आपके पितृ अवश्य प्रसन्न होंगे।