



श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 31 जुलाई 2019। राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति में बुधवार को मुंशी प्रेमचन्द की जयन्ती मनाई गई। इस अवसर पर कस्बे के कई साहित्यकारों ने उनके जीवन परिचय से उपस्थित लोगों को अवगत करवाया। राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा कि प्रेमचन्द का साहित्य सामयिक व प्रासंगिक है। उनके साहित्य का प्रभाव समस्त भारतीय भाषाओं पर है। प्रेमचन्द के साहित्य की रचनाएं समाज को नई दिशाएं देती रहेगी और उनकी प्रासंगिकता बनी रहेगी। उन्होंने बताया कि समय के दर्द की अभिव्यक्ति को व्यक्त करने वाला ही कालजयी रचनाकार होता है। कार्यक्रम की
अध्यक्षता करते हुए डॉ. चेतन स्वामी ने कहा कि भारतीय साहित्य में मुंशी प्रेमचन्द दैदीप्यमान नक्षत्र है। उनका लेखन धारदार था। उनके जीवन में लेखन एकांगी व्रत धारण किया। भारतीय समाज की प्रत्येक जाति व वर्ग के कलेजे में उतर कर उन्होंने लेखन कार्य किया। मुंशी प्रेमचन्द की कहानियों में आदर्श व यथार्थ दोनों को समावेश है। साहित्यकार सत्यदीप ने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द की रचनाएं आम आदमी के दर्द की अनुभूति पाठक को करवाने में सफल होती है। साहित्यिक यात्रा में प्रेमचन्द का रचनाकर्म आम आदमी की तात्कालिक, सामाजिक व्यवस्था का सफल चित्रण करती है। तुलसीराम चौरडिय़ा ने बताया कि प्रेमचन्द गद्य लेखन में देश के सबसे बड़े लेखक माने जाते है। यदि भारतीय समाज को समझना है तो प्रेमचन्द के साहित्य को पढऩा जरूरी है। इस अवसर पर बजरंग शर्मा, रामचन्द्र राठी, श्रीकृष्ण खण्डेलवाल, गोपीराम नाई, शुभकरण पारीक, बालकृष्ण महर्षि, महावीर सारस्वत ने भी अपने विचार रखे।