


श्रीडूंगरगढ टाइम्स 29 जून 2019। बरजांगसर ग्राम पंचायत के 4000 नागरिक 250 वर्षो से इलाज के लिए तरस रहे है। इस गांव के सरपंच प्रियंका सिहाग ने प्रशासन को कई बार चेताया की गांव में उपस्वास्थ्य केन्द्र का भवन निर्माण किया जाये परन्तु प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं देने से परेशान सरपंच ने आज प्रशासन को आमरण अनशन की चेतावनी दी। प्रियंका सिहाग ने आज गांव की महिलाओं को साथ लेकर आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया है। महिला सरपंच ने आरोप लगाया की ग्राम पंचायत ने 1000 वर्गगज भूमि भी दे दी है फिर भी प्रशासन भवन निर्माण में कोई रूचि नहीं दिखा रहा और बरजांगसर के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार कर रहा है। उनका कहना कि पंचायत विभाग की अकर्मणयता के कारण राज्य सरकार को प्रस्ताव तक नहीं भेजे गये है। उनका आरोप है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कागज जयपुर भेज देने की बात कही परन्तु जब स्वयं मंत्रालय जाकर पता किया तो उन्होने बताया कि हमारे पास प्रस्ताव ही नहीं आया है। प्रियंका ने आज कहा कि अगर प्रशासन 15 दिन में कार्यवाही नहीं करेगा तो वह ग्रामीण महिलाओं के साथ आमरण अनशन करेंगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहाकि प्रशासन हमारे गांव में तुरन्त उपस्वास्थ्य केन्द्र का भवन निर्माण की व्यवस्था करें।
खोला जा सकता है प्राथमिक चिकित्सा केंद्र — बरजांगसर गाँव कुनपालसर, बाडेला, केऊ, सोनियासर गाँवो की पंचायत है। यहां मांग उपस्वास्थ्य केंद्र की हो रही है परन्तु यहां प्राथमिक चिकित्सा केंद्र भी खोला जाये तो इन गांवो में ईलाज के लिए मदद हो सकेगी। एक उपचिकित्सा केंद्र की मांग पिछले 25 वर्षों से लगातार उठ रही है। पर किसी अफसर या राजनेता का इस और ध्यान ही नहीं जा रहा है। बेहाली का आलम यह है कि यहां एक नर्स है जो टुटी फुटी आंगनबाड़ी परिसर में बैठती है। और किसी महिला की जांच के दौरान आंगनबाड़ी के बच्चे बाहर धूप में बैठते है। इन गाँवो में किसी बीमार को इलाज चाहिए तो भाग कर श्रीडूंगरगढ आना पड़ता है। ग्रामीणों के खेती-बाड़ी के काम चलने के कारण वे इलाज के लिए भी समय का इन्तजार करते है और इस इन्तजार में कई बार बिमारी बढ जाती है जिससे गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ते है। और ग्रामीणों को स्वस्थ होने में पैसा और समय भी दुगुना लगाना पड़ता है। गाँव की सरपंच प्रियंका लगातार चार वर्षों से गाँव में उपचिकित्सा केंद्र की स्थापना के प्रयास कर रही है परन्तु सुनवाई कहीं नहीं हो रही है।
सर्वाधिक परेशान है महिलाऐं– उपचिकित्सा केंद्र नहीं होने से ग्रामीणों महिलाओं को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। और इस आधी आबादी का प्रतिनिधित्व कर रही प्रियंका महिला होने के नाते ये दर्द समझ पा रही है। और इस संघर्ष को आवाज दे रही है। ग्रामीण महिलाएं उनसे जब कहती है कि वे सरपंच है कुछ करें तो उनकी आँखों में दर्द झलक जाता है। उनका सपना है कि वे इस कार्यकाल से मुक्त होने से पहले अपने गाँव में उपचिकित्सा केन्द्र की स्थापना करवा सके।


