July 4, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 2 जुलाई 2024। देश में कानून बदल गए है। श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स के सभी पाठक नए कानूनों संबंधी अपनी जानकारी अपडेट करने के लिए युवा वकील अनिल धायल के सहयोग से पढ़े नए कानूनों पर विशेष आलेख।
नए आपराधिक क़ानून के अनुसार पुलिस को शिकायत मिलने के तीन दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज करनी होगी। साथ ही इन कानूनों के लागू होने से कोई भी व्यक्ति अब पुलिस थाना गए बिना ही इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से घटनाओं की रिपोर्ट (ई-एफआईआर) दर्ज करा सकता है। वहीं किसी भी पुलिस ऑफिसर या सरकारी अधिकारी के खिलाफ केस चलाने के लिए 120 दिनों में संबंधित अथॉरिटी को इजाजत देनी होगी। अगर इजाजत नहीं दी जाती है तो भी मान लिया जाएगा कि इजाजत मिल गई है और उस हिसाब से केस कि कार्यवाही शुरु कर दी जाएगी।
ज़ीरो एफआईआर का प्रावधान…
किसी भी तरह कि घटना होने पर तुरंत कार्यवाही के लिए अब ज़ीरो एफ आई आर का प्रावधान किया गया है। अब कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र के थाने में एफआईआर दर्ज करा सकेगा। जीरो एफआईआर के तहत मामला दर्ज होने के बाद कानूनी कार्रवाई में विलंब नहीं होगा। यह एफआईआर दर्ज होने के 15 दिनों के भीतर ओरिजिनल जूरिडिक्शन यानी उस थाने को भेज दी जाएगी जहां का मामला है।
एफ एस एल कि अनिवार्यता…
नये क़ानून के बाद अब सात साल से ज्यादा सजा वाली सभी आपराधिक घटनाओं पर फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) टीम का घटनास्थल पर जाना अनिवार्य होगा ताकि घटना कि जांच पूर्ण तथ्यों व सबूतों के साथ हो सके व न्याय कि विश्वासनीयता मे बढ़ोतरी हो सके।
गिरफ्तारी की सूचना देना होगा अनिवार्य…
नए कानूनों का एक अच्छा पहलू यह है कि अगर किसी व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार करती है तो वह अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित कर सकेगा। गिरफ्तार होने वाले व्यक्ति को अब इसका अधिकार होगा। इससे जो व्यक्ति गिरफ्तार होगा, उसको तुरंत मदद मिल पाएगी। यही नहीं, पुलिस को गिरफ्तारी का विवरण थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित करना होगा। इससे किसी भी गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार वाले और दोस्त-रिश्तेदार आसानी से सूचना पा सकेंगे।
कुछ मामलों मे बिना वारंट गिरफ्तारी…
नये कानूनों मे उन स्थतियों को भी बताया गया है जब पुलिस किसी को बिना वारंट गिरफ्तार कर सकेगी। जैसे – किसी पुलिस अधिकारी कि उपस्थिति मे कोई संज्ञेय अपराध करना, किसी के खिलाफ उचित परिवाद दिया गया हो या उसके खिलाफ विश्वसनीय सूचना हो, किसी पुलिस अधिकारी को उस समय बाधा पहुँचाना जब वो अधिकारी अपना कर्तव्य कर रहा हो।
पूछताछ के दौरान वकील से मिलने का अधिकार…
पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया व्यक्ति पूछताछ के दौरान अपनी पसंद के अधिवक्ता से मिलने का हक़दार होगा किन्तु संपूर्ण पूछताछ के दौरान यह नहीं होगा।
गलत पहचान बताने पर गिरफ्तारी…
जब कोई व्यक्ति जिसने पुलिस कि उपस्थिति मे सामान्य अपराध किया हो ओर पुलिस द्वारा उससे पहचान बताने कि मांग कि जाती तब अगर वह व्यक्ति अपनी गलत पहचान जैसे – गलत नाम, गलत पता आदि बताता है तब पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकेगी और सही पहचान प्राप्त होने के बाद उसे इस शर्त पर कि जब भी जरूरत होंगी वह मजिस्ट्रेट के सामने हाजिर हो जायेगा के बंध पत्र या जमानत पत्र पर छोड़ दिया जायेगा।
प्राइवेट व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी…
कोई भी प्राइवेट व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति को जो उसकी उपस्थिति मे अजमानतीय या गंभीर अपराध करता है तो उसे गिरफ्तार कर सकता है या करवा सकता है और ऐसे गिरफ्तार व्यक्ति को बिना देर kiye 6 घंटे के भीतर पुलिस अधिकारी को सौम्प देगा या अपनी अभिरक्षा मे उसे नजदीकी पुलिस थाने पहुंचाएगा जिसके बाद आगामी कार्यवाही पुलिस द्वारा कि जा सकेगी।
मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी…
किसी कार्यपालक या न्यायिक मजिस्ट्रेट के स्थानीय अधिकार क्षेत्र मे अगर कोई अपराध किया जाता है तब वह संव्य गिरफ्तार कर सकता है या गिरफ्तार करने का आदेश दे सकता है।
महिला व बच्चों को प्राथमिकता..
नये कानूनों मे महिलाओ व बच्चों के खिलाफ अपराधों कि जांच को प्राथमिकता दी गई है जिसमे सुचना दर्ज किये जाने के दो महीनों के भीतर जांच पूरी कि जाएगी व उन्हें अपने मामले कि प्रगति पर नियमित जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होगा, पीड़ित महिलाओ व बच्चो को सभी अस्पतालो मे निशुल्क प्राथमिक उपचार या चिकित्सा उपचार मिलेगा।
गंभीर मामलों मे क्राइम सीन कि विडियोग्राफी जरूरी….
नये क़ानून के अनुसार गंभीर मामलो मे घटना कि जगह व क्राइम सीन कि वीडियोग्राफी अनिवार्य कर दी गई है ताकि सबूतों मे किसी तरह कि छेड़छाड़ को रोका जा सके। इस कदम से किसी भी अपराध कि जांच कि गुणवत्ता व विश्वसनीयता बढ़ेगी।

error: Content is protected !!