April 30, 2024

श्रीडूंगरगढ़ टाइम्स 22 जनवरी 2020। आंखों में होने वाली किसी परेशानी को हल्के में नहीं लिया जा सकता है, लेकिन होता यह है कि जब तक कोई संक्रमण (इन्फेक्शन) या धुंधला दिखने जैसा कुछ गलत नहीं होता, लोग अपनी आंखों पर रोज ध्यान नहीं देते हैं। रोज की आदतें आंखों के स्वास्थ्य को बेहतर या बदतर बनाती हैं। कभी-कभी लोग रोजमर्रा में कई ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है। 
 
www.myUpchar.com से जुड़ीं डॉ. मेधावी अग्रवाल का कहना है कि व्यक्ति को चश्मा लगा हो या न लगा हो, आंखों की जांच नियमित रूप से करवानी चाहिए। आंखों की कोई समस्या या संक्रमण नजरअंदाज करने से गंभीर नुकसान हो सकता है या आंखों की रोशनी जा सकती है।
 
बहुत अधिक स्क्रीन टाइम : कम्प्यूटर पर काम करने से लेकर घर पर टीवी या स्मार्टफोन देखने  तक, हर जगह हमारी नजरें स्क्रीन पर टिकी रहती हैं। कम्प्यूटर पर ज्यादा समय बिताने से पलक झपकना कम हो जाती है, आंखों में गीलापन न होने के कारण “ड्राई आई” की शिकायत हो जाती है। आंखों के तनाव को कम करने के लिए, बीच-बीच में स्क्रीन से नजरें हटाना जरूरी है। ’20-20-20′ नियम के साथ नियमित रूप से ब्रेक लें। यानी हर 20 मिनट में, अपनी आंखों को 20 सेकंड के लिए कम से कम 20 फीट दूर किसी चीज पर केंद्रित करें।
 
मेकअप में साफ-सफाई का ख्याल : महिलाएं बिस्तर पर जाने से पहले आंखों के सभी मेकअप, विशेष रूप से काजल को हटाने की आदत डालें। कई महिलाएं अपने दिन की शुरुआत आंखों पर मेकअप से करती हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ महिलाएं सोने से पहले इसे हटाती नहीं हैं। पुराने हो चुके आई शैडो, मस्कारा या आईलाइनर का उपयोग न करें। मेकअप पर बैक्टीरिया पनप जाते हैं, जो संक्रमण का कारण बन सकते हैं, क्योंकि मेकअप रात भर बना रह सकता है।
 
बचाव के लिए धूप का चश्मा : बहुत से लोग धूप के चश्मे को एक फैशन के रूप में देखते हैं, लेकिन धूप का चश्मा वास्तव में आंखों की सुरक्षा के लिए बहुत उपयोगी है। सूर्य की पराबैंगनी किरणें आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। अपना धूप का चश्मा ऐसे चुनें जो यूवी-ए और यूवी-बी, दोनों किरणों को 99 से 100% को रोक दे। ये सनग्लासेस सिर्फ गर्मियों के लिए नहीं हैं। सर्दियों में धूप ज्यादा हो तो चश्मा पहनना याद रखें।
 
आई ड्रॉप का गलत इस्तेमाल : ड्राई आई के लिए, एलर्जी के लक्षणों को कम करने, या आंखों को लाल होने से रोकने के लिए आई ड्रॉप डालना बहुत आम है, लेकिन तरीका गलत हो तो संक्रमण हो सकता है। आंख के नीचे के बाहरी कोने में एक बार में एक बूंद छोड़ें। ड्रॉपर को अपनी आंख या पलकों पर न छुएं, क्योंकि यह  बैक्टीरिया से दूषित हो सकता है। कभी भी अपने डॉक्टर से बात किए बिना आई ड्रॉप का इस्तेमाल न करें। आई ड्रॉप्स के अच्छे होने की तारीख निकल चुकी हो तो इन्हें अपनी आखों में नहीं डालें।
 
गलत खानपान : स्वस्थ शरीर के लिए सही आहार जरूरी है और इसमें आपकी आंखें भी शामिल हैं। ल्यूटिन और जेक्सैंथिन से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने से आपकी आंखें मोतियाबिंद और उम्र से संबंधित बीमारियां से बच सकती हैं। आंखों को स्वस्थ बनाने वाले पोषक तत्वों की अपनी खपत बढ़ाने के लिए, अपने आहार में पालक, शलजम, ब्रोकली, पीली मकई और मटर को डाइट में शामिल करें।
 
आंखों को मसलना : जब व्यक्ति नींद में हों, आंखों में खुजली हो या आंख में कोई तनाव महसूस कर रहे हों तो राहत पाने के लिए इसे रगड़ने या मसलने लगते हैं। यदि आंखों को रगड़ने से पहले अपने हाथ नहीं धोते हैं, तो कीटाणुओं को फैला सकते हैं, जिससे आंखों में संक्रमण हो सकता है।
 
कॉन्टैक्ट लेंस का ध्यान : लंबे समय तक कॉन्टैक्ट लेंस पहनने के साथ कुछ लोग इन्हें पहनने या उतारने से पहले हाथ धोना भूल जाते हैं। कॉन्टैक्ट लेंस धोने के लिए सॉल्यूशन दिया जाता है। लैंस धो कर इस्तेमाल न करने से आंखों में इन्फेक्शन हो सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि जल्दबाजी में यह गलती न करें। हमेशा पानी और साबुन से हाथ धोकर ही इन्हें हाथ लगाएं।

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