मीरां नारी मुक्ति का पर्याय –डॉ चेतन स्वामी





श्रीडूंगरगढ टाइम्स 12 जुलाई 2019। मींरा जयन्ती के अवसर पर राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से श्रीडूंगरगढ पुस्तकालय के सभागार में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए साहित्यकार डॉ चेतन स्वामी ने कहा कि मींरा के जीवन पर समाज शास्त्रीय दृष्टिकोण से शोध न के बराबर हुआ है। मींरा को पाठ्यक्रम में जगह दी जाए पर साथ ही उनके स्त्री जीवन की साहसिकता को पढाया जाए। स्वामी ने इस बात पर बल दिया कि राजस्थान सरकार को मींरा शोध संस्थान की स्थापना करनी चाहिए। इस संगोष्ठि में राजस्थानी भाषा साहित्य संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा मींया की भक्ति समूचे विश्व में भक्ति का अप्रतिम उदाहरण है। वे एकमात्र ऐसी भ्क्त कवयित्रि है जिनके मुख से काव्य सहज ही निसृत हुआ। राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति के मंत्री बजरंग शर्मा ने बताया कि उनके संस्थान में मींरा के समस्त साहित्य को संकलित किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि मींरा पर कार्य करने वाले किसी भी शोधार्थी को अन्यत्र भटकना न पड़े। कार्यक्रम की अध्यक्षता पुस्तकालय मंत्री भंवर भोजक ने की। संगोष्ठी में महावीर सारस्वत, भरतसिंह राठौड़, तुलसीराम चौरड़िया, रामचन्द्र राठी, ने भाग लिया। कार्यक्रम का प्रारम्भ मींया की प्रतिमा को पुष्पमाला चढा कर किया गया।

श्रीडूंगरगढ टाइम्स। मीरां पर संगोष्ठी में भाग लेते अतिथि।